संविदा आधार पर नियुक्ति पाए स्वास्थ्य कर्मचारी अब नियमित नियुक्ति की मांग को लेकर आंदोलन की राह पर है।
स्वास्थ्य कर्मचारी संघ के बैनर तले आंदोलन कर रहे इन कर्मचारीयों में लैब टेक्निशियंस और स्टाफ नर्स शामिल है।
प्रदेश भर में संविदा आधार पर नौकरी करने वाले कर्मचारी अब आर पार के मुड में नजर आ रहे है। चुनावी साल को देखते हुए कर्मचारी संघ ने दबाव बढा दिया है।
उल्लेखनीय है कि, प्रदेश के स्वास्थ्य अमले में संविदा आधार पर काम करने वाले कर्मचारीयों की संख्या कुछ इस तरह है कि, यदि वे हट जाएं तो पूरी व्यवस्था ही चरमरा जाएगी।
संविदा आधार पर बरसों से नौकरी कर रहे कर्मचारीयों को उम्मीद थी कि, जल्द ही उन्हे नियमित कर दिया जाएगा लेकिन नियमितीकरण नहीं हुआ।
सन 2001 से संविदा आधार पर लैब टेक्नीशियसऔर आंदोलन में शामिल जैनुल हसन फिरदौसीसरकार की संविदा नीति पर सवाल उठाते हुए पूछते है आज नहीं तो कल नियमित होंगे की उम्मीद ने उन जैसे कईयों की उमर ही पार करा दी और अब भी यह तय नही है कि भविष्य क्या होगा ।
हर जिले में धरना प्रदर्शन का सिलसिला खत्म होने के बाद ये कर्मचारी आंदोलन को और उग्र करेंगे।संविदा आधार पर नौकरी करने वाले ये कर्मचारी यदि काम बंद करेगे तो स्वास्थ्य विभाग जो पहले ही बदहाल है वहा चुनावी साल मे और कबाडा होगा जाहिर है सरकार ऐसा कुछ नहीं चाहेगी जो सरकार की गलत इमेज बनाए ये बात संविदा कर्मचारी भी जानते है इसलिए दबाव बनाने में वे कोई कसर नहीं छोडने वाले।
Wednesday 23 February 2011
daily surguja: भारत की मिटटी का गर्व हैं बेटियाँ घर परिवार को बनत...
daily surguja: भारत की मिटटी का गर्व हैं बेटियाँ घर परिवार को बनत...: "हमारे देश में जब कोई बेटा जनम लेता है तो सब खुश होते है, पर जब किसी बेटी का जनम होते है मातम सा छा जाता है.कई जगह तो लड़के को स्कूल भेजा जा..."
भारत की मिटटी का गर्व हैं बेटियाँ घर परिवार को बनती स्वर्ग हैं
हमारे देश में जब कोई बेटा जनम लेता है तो सब खुश होते है, पर जब किसी बेटी का जनम होते है मातम सा छा जाता है.कई जगह तो लड़के को स्कूल भेजा जाता है लेकिन लड़की को नहीं भेजा जाता क्योंकि वे सोचते है की इन्हें पढ़ा कर क्या फ़ायदा? इन्हें तो चूल्हा ही फूकना है.पर वे लोग यह नहीं जानते की लडकिय अब किसी काम में लड़कों से पीछे नहीं है.
कई जगह तो बेटी के जनम लेते ही इन्हें मार देते है. उन्हें मारने के कारण अब हमारे देश में लड़की की संख्या कम हो गयी है. कई राज्य में लड़की की संख्या कम होने की वजह से शादी नहीं हो पा रही है,दुसरे राज्य की लड़कियों से शादी करना पद रहा है. किसी राज्य में तो लड़के की संख्या १००० है तो लड़कियों की संख्या ७३३ है. इसी कारण एक राज्य के लड़कों को दुसरे राज्य की लडकियों से शादी करना पडरहा है.
ये दहेज़ की वजह से लड़कियों को मारते हैं . वे सोचते है की लड़के उन्हें कम के खिलाएंगे पर वे लोग ये नहीं जानते की माँ बाप का दुःख जितना लड़कियों समझ पाती है उतना लड़के नहीं. मेरी आप लोगों से गुजारिश है की आप लोग ऐसा मत कीजिये
कई जगह तो बेटी के जनम लेते ही इन्हें मार देते है. उन्हें मारने के कारण अब हमारे देश में लड़की की संख्या कम हो गयी है. कई राज्य में लड़की की संख्या कम होने की वजह से शादी नहीं हो पा रही है,दुसरे राज्य की लड़कियों से शादी करना पद रहा है. किसी राज्य में तो लड़के की संख्या १००० है तो लड़कियों की संख्या ७३३ है. इसी कारण एक राज्य के लड़कों को दुसरे राज्य की लडकियों से शादी करना पडरहा है.
ये दहेज़ की वजह से लड़कियों को मारते हैं . वे सोचते है की लड़के उन्हें कम के खिलाएंगे पर वे लोग ये नहीं जानते की माँ बाप का दुःख जितना लड़कियों समझ पाती है उतना लड़के नहीं. मेरी आप लोगों से गुजारिश है की आप लोग ऐसा मत कीजिये
Subscribe to:
Posts (Atom)