मिसाल के तौर पर देखा गया है कि शराब के नशेड़ी चुटकुले नहीं समझ पाते हैं. जर्मन न्यूरोसाइकोलॉजिस्ट जेनिफर उएकरमान्न व ब्रिटिश वैज्ञानिकों के एक शोध से पता चला है कि चुटकुलों पर मस्तिष्क के जिस हिस्से में प्रतिक्रिया होती है, शराब के नशेड़ियों में वह हिस्सा कुंद हो जाता है. जेनिफर उएकरमान्न बताती हैं कि इस अध्ययन में उनका काम था इंटरनेट से चुटकुलों को छांटना. इसकी खातिर उन्होंने लगभग 20 हजार चुटकुले पढ़े. उनको चुनने के मामले में कुछ एक बातों पर ध्यान देना पड़ा. मिसाल के तौर पर यह कि अल्पसंख्यकों के खिलाफ कोई चुटकुला न हो.
अंततः 24 चुटकुले छांटे गए, जिनके जरिये पता लगाना था कि चुटकुलों में छिपे सामाजिक मुद्दों पर नशेड़ियों की क्या प्रतिक्रिया होती है.
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